साफ-सफाई के दौरान डायसन ने सबसे ज्यादा नजरंदाज होने वाले हिस्सों का खुलासा किया

हम जिन जगहों पर समय बिताते हैं, उनकी सफाई को लेकर भारतीय सबसे ज्यादा फिक्रमंद लोगों में से एक हैं। डायसन ग्लोबल स्टडी 2022 के मुताबिक, 46 प्रतिशत भारतीयों ने सफाई की आवृत्ति को काफी बढ़ा दिया है और 3 में से 2 भारतीय सप्ताह में 5 से 7 बार अपने घरों को साफ करते हैं, जो एशिया पैसिफिक क्षेत्र में सबसे ज्यादा है। एक मिनट निकालकर सोचें कि जो स्थान हमें साफ दिखाई देते हैं, क्या वो वास्तव में साफ हैं? क्या उन जगहों पर धूल जमी हो सकती है, जो सामान्य आँख को दिखाई नहीं देती? पूरी सफाई कर लेने के बाद, क्या आपने उन जगहों को भी साफ कर दिया है, जहां पर धूल अभी भी जमी हो सकती है? 10 में से 7 घरों में कम से कम एक व्यक्ति को धूल से एलर्जी हो सकती है, तब भी 40 प्रतिशत भारतीय यही समझते हैं कि घरों में मौजूद धूल कोई नुकसान नहीं पहुंचाती। ये बातें एक अध्ययन  में सामने आईं। हम अक्सर उन जगहों पर मौजूद बारीक धूल और हमारी सेहत पर उसके संभावित प्रभाव को भूल जाते हैं।

धूल कोई नुकसान पहुंचाने वाली नहीं प्रतीत होती है, लेकिन असम में इसकी संरचना में डस्ट माईट, डस्ट माईट का मल, बैक्टीरिया, सूक्ष्म कीड़े, एवं अन्य कण हो सकते हैं। सामान्य आंखों को न दिखने वाले ये कण आपके घर के फर्श, सोफा, और बेड आदि पर फैले होते हैं। सोफे पर बैठने जैसी सामान्य क्रिया के कारण ये कण हवा में उड़ने लगते हैं और एलर्जिक रिएक्शन कर सकते हैं।

मोटे तौर से हम अपने जीवन का एक तिहाई समय अपने बिस्तर में गुजारते हैं, लेकिन डायसन ग्लोबल डस्ट स्टडी 2022 में खुलासा हुआ है कि भारतीय अपने मैट्रेस को मुश्किल से ही साफ किया करते हैं। मैट्रेस दिखने में तो साफ लग सकता है, लेकिन इसमें लाखों डस्ट माईट हो सकते हैं, जो नींद के दौरान आपकी सेहत पर बुरा असर डाल सकते हैं। अधिकांश लोग अपने फर्श को तो नियमित तौर से साफ करते हैं, लेकिन मैट्रेस, दीवार, छत आदि नजरंदाज हो जाते हैं। डायसन में माईक्रोबायलॉजी में शोध वैज्ञानिक, डेनिस मैथ्यूज़ ने सबसे ज्यादा नजरंदाज होने वाली जगहों का खुलासा किया, जो अपने घर की सफाई के दौरान लोग ऐसे ही छोड़ देते हैं। उन्होंने अपने घरों की पूरी सफाई के लिए सुझाव दिए।

उन्होंने कहा, ‘‘आँखों को दिखाई देने वाली धूल को साफ करना सामान्य है, लेकिन कुछ ऐसे स्थान भी हैं, जो आसानी से नजरंदाज हो जाते हैं। धूल का हमारी सेहत और स्वास्थ्य पर बुरा असर होता है। नजरंदाज होने वाले कुछ हिस्से, जो अक्सर हमारी नजर से चूक जाते हैं, उनमें बारीक धूल होती है, जो स्वास्थ्य की समस्याएं उत्पन्न करने में मुख्य भूमिका निभाती है। इसलिए इन जगहों को पहचानकर वहां से धूल का साफ किया जाना बहुत जरूरी है, ताकि आपका घर स्वच्छ व सेहतमंद बना रहे।’’

साफ-सफाई की प्रक्रिया को ज्यादा प्रभावशाली बनाने के लिए नीचे दिए गए सबसे ज्यादा उपेक्षित स्थानों को ध्यान में रखेंः

  1. दीवारें

दीवारों की सफाई के बारे में हम बहुत कम सोचते हैं। डायसन ग्लोबल डस्ट स्टडी 2022 के मुताबिक, केवल 32 प्रतिशत भारतीय दैनिक सफाई के दौरान दीवारों की सफाई करते हैं। जबकि दीवारों पर धूल जमा होती है और मोल्ड की वृद्धि में सहायक होती है। गीले कपड़े, क्लीनिंग वाईप्स या एडवांस्ड फिल्ट्रेशन वाले वैक्यूम क्लीनर द्वारा दीवारों को साफ किया जाना जरूरी है। यदि आप दीवार और छत दोनों को वैक्यूम क्लीनर से साफ कर रहे हैं, तो पहले छत को साफ करें और उसके बाद दीवारों की सफाई करें, ताकि छत की सफाई के दौरान हवा में उड़कर दीवार, फर्नीचर या फर्श पर जमने वाली धूल की भी सफाई हो जाए। ऊपर से नीचे की ओर सफाई करने से नीचे गिरकर जमने वाली धूल भी साफ हो जाती है।

  • मैट्रेस

डस्ट माईट स्किल की सैल्स पर जीवित रहते हैं। हम प्रतिदिन 2 से 3 ग्राम स्किल सैल्स त्यागते हैं। रात में चादर से होने वाले घर्षण के कारण और ज्यादा स्किल सैल्स शरीर से झड़ जाती हैं। इसलिए मैट्रेस में डस्ट माईट्स के पनपने के लिए सबसे अनुकूल वातावरण होता है, क्योंकि वो हमारे बिस्तर जैसे गर्म, गहरे और नम स्थानों पर ही पनपते हैं। एक मैट्रेस में लाखों डस्ट माईट हो सकते हैं और हर डस्ट माईट प्रतिदिन लगभग 20 मल के टुकड़े उत्पन्न करता है, जिनमें एलर्जी करने वाला एलर्जेनिक प्रोटीन होता है। लेकिन फिर भी अध्ययन के मुताबिक 63 प्रतिशत भारतीय अपने मैट्रेस को साफ या वैक्यूम क्लीनर से इसकी सफाई नहीं करते।

मैट्रेस के दोनों तरफ वैक्यूम क्लीनर से सफाई करने पर आपके मैट्रेस में स्किन फ्लेक्स और एलर्जेनिक पदार्थों की संख्या को कम करने में मदद मिलेगी तथा 140 डिग्री फॉरेनहाईट या 195 डिग्री फॉरेनहाईट पर चादरों और कंबलों को धोने से एलर्जन को तोड़ने और कम करने में मदद मिलेगी।

  • पेट बास्केट

21 प्रतिशत भारतीयों को यह नहीं मालूम कि घर की धूल में पालतू पशुओं से निकलने वाले एलर्जन भी हो सकते हैं, जो पालतू पशुओं से संबंधित एलर्जी कर सकते हैं। केवल 36 प्रतिशत लोग नियमित तौर से अपने पेट बास्केट को साफ करते हैं 1। मैट्रेस की तरह ही पेट बास्केट में भी डस्ट माईट हो सकते हैं, जो जानवरों द्वारा छोड़े गए पेट डैंडर पर जीवित रहते हैं। यदि संभव हो, तो उतारे जा सकने वाले कवर को 140 डिग्री फॉरेनहाईट से 195 डिग्री फॉरेनहाईट पर धोकर साफ करें। लेकिन ऐसा संभव न होने पर, वैक्यूम क्लीनर को हैंडहेल्ड मोड में रखकर मिनी-मोटराईज़्ड टूल का इस्तेमाल करें और अनपेक्षित पेट हेयर, डैंडर एवं एलर्जन को दूर कर दें। 

  • लैंप और लैंपशेड

लैंपशेड और लाईट फिटिंग में धूल जम सकती है। फिर भी अध्ययन के मुताबिक 73 प्रतिशत भारतीय उनकी सफाई को नजरंदाज कर जाते हैं । एक अप-टॉप एडैप्टर के साथ वैक्यूम क्लीनर के सॉफ्ट ब्रश अटैचमेंट द्वारा ऊँचाई पर स्थित लैंपशेड तक पहुंचकर उसकी सफाई करने में मदद मिलती है। 

  • शेल्फ

55 प्रतिशत भारतीय अपने शेल्फ नियमित तौर पर साफ नहीं करते, जिसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं क्योंकि शेल्फ को साफ करना बहुत मुश्किल काम है। गहरी सफाई के लिए अपने शेल्फ में रखी चीजों को हटाने के साथ शुरुआत करें। सबसे ऊपर की शेल्फ को सबसे पहले साफ करें, ताकि हवा में उड़कर नीचे जमने वाली धूल छूट न जाए। अप-टॉप एडैप्टर के साथ अपने वैक्यूम क्लीनर में सॉफ्ट ब्रश अटैचमेंट का इस्तेमाल करें और ऊँचाई पर स्थित जगहों को पूरी तरह से साफ करें। शेल्फ पर लगे दाग धब्बों को एक गीले कपड़े से साफ करें और शेल्फ में सामान वापस रखने से पहले उसे सूखने दें। यदि संभव हो तो शेल्फ को दीवार से हटाकर नीचे के फर्नीचर को वैक्यूम क्लीनर से साफ करना न भूलें, क्योंकि यहां पर बैक्टीरिया, मोल्ड और डस्ट माईट की कॉलोनी हो सकती हैं।

  • छत

छत के टैक्सचर में धूल और कॉबवेब हो सकते हैं, लेकिन फिर भी 65 प्रतिशत भारतीय अपने घरों की सफाई के दौरान इसे नजरंदाज कर देते हैं। छत की सफाई का सबसे आसान तरीका उसे वैक्यूम क्लीनर से साफ करना है। अपने वैक्यूम क्लीनर में एक सॉफ्ट ब्रश अटैचमेंट द्वारा पेंट या वॉलपेपर को कोई नुकसान पहुंचाए बिना छत की विशाल सतह को साफ करें और मुश्किल पहुंच वाली जगहों के लिए क्रेविस टूल का इस्तेमाल करें। लाईट-वेट कॉर्ड-फ्री वैक्यूम ऊँचाई पर स्थित जगहों पर पहुँचने के लिए एक अच्छा विकल्प है।

  • पर्दे एवं ब्लाईंड

डायसन ग्लोबल डस्ट स्टडी 20221 के मुताबिक 68 प्रतिशत भारतीय अपने घरों की सफाई के दौरान पर्दों और ब्लाईंड्स की सफाई को नजरंदाज कर जाते हैं। उनमें ढेर सारी धूल जमी हो सकती है और कपड़ों में डस्ट माईट पनप सकते हैं। उन्हें एक सॉफ्ट ब्रश टूल द्वारा वैक्यूम क्लीनर से साफ करें। संभव हो तो उन्हें धोकर साफ करें।

डीप क्लीन के लिए शीर्ष सुझाव

  1. नियमित रूप से सफाई करें

धूल इलेक्ट्रोस्टेटिक रूप से कठोर फर्श पर चिपकती है। धूल फर्श पर जितने लंबे समय तक रहती है, उसे सतह से हटाने के लिए उतना ही ज्यादा प्रयास करने की जरूरत होती है। नियमित तौर से सफाई करते रहने से धूल को हटाना आसान हो जाता है। यह केवल फर्श के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे घर के लिए लागू होता है। हर दिन एक जगह साफ करके (ऊपर बताई गई) आप हर माह अपने पूरे घर की गहरी सफाई कर सकते हैं। घर को साफ रखने के लिए सबसे ज्यादा अनुशंसित आवृत्ति यही है, जिसके द्वारा आपको एक बार में पूरे घर की गहरी सफाई करने के मुश्किल काम से परेशान नहीं होना पड़ेगा।

2.      सही तरीके से सफाई करें

घर में मौजूद कीटाणुओं की सफाई करने के लिए आम तौर से गीले कपड़े और/या वेट मॉप का इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन डिसइन्फेक्टैंट से साफ करना और वैक्यूम क्लीनर से बारीक धूल हटाना, दो अलग-अलग चीजें हैं। घर की संपूर्ण सफाई के लिए ये दोनों काम जरूरी हैं। गंदे फर्श को मॉपिंग से साफ कर देना सबसे आम गलती है। इससे डस्ट माईट और मोल्ड को पनपने के लिए सबसे अनुकूल वातावरण मिल जाता है। इसलिए पहले फर्श से धूल और गंदगी को साफ करना चाहिए और फिर मॉपिंग द्वारा बिल्कुल साफ फर्श प्राप्त करना चाहिए।

3. एडवांस्ड फिल्ट्रेशन वाले वैक्यूम का इस्तेमाल करें

वैक्यूम क्लीनर से साफ करने का मुख्य उद्देश्य घर से धूल और गंदगी को साफ करना है। एडवांस्ड फिल्ट्रेशन वाला वैक्यूम क्लीनर सुनिश्चित करता है कि सारी गंदगी आपके वैक्यूम क्लीनर के अंदर रहे और वापस आपके घर में न उड़े। ऐसे वैक्यूम क्लीनर लें, जो पाँच चरण वाले फिल्ट्रेशन सिस्टम के साथ आते हैं और 0.3 माईक्रॉन तक के सूक्ष्म कणों को 99.99 प्रतिशत तक फिल्टर कर देते हैं, जिससे सुनिश्चित होता है कि जो धूल आप वैक्यूम क्लीनर से साफ करते हैं, वह वैक्यूम क्लीनर के अंदर की रहे और आपके घर में स्वच्छ हवा का बहाव हो।

4. सही टूल्स का इस्तेमाल करें

डायसन ग्लोबल डस्ट स्टडी1 में खुलासा हुआ कि भारतीय महसूस करते हैं कि वैक्यूम क्लीनर घर से धूल को साफ करने में सबसे ज्यादा प्रभावशाली होते हैं, लेकिन केवल 39 प्रतिशत भारतीय की अपने घरों की सफाई के लिए वैक्यूम क्लीनर का इस्तेमाल करते हैं। 65 प्रतिशत लोग गीले कपड़े, 67 प्रतिशत लोग सूखे कपड़े, 70 प्रतिशत लोग ब्रश और बर्तन का इस्तेमाल करते हैं और कई लोग ऐसे हैं, जो नियमित सफाई के लिए पारंपरिक विधियों का इस्तेमाल करते हैं।

झाड़ू लगाने और कपड़ा मार देने से सतहें साफ को दिखती हैं, लेकिन इससे घरों से धूल बाहर नहीं जाती। इससे धूल सतहों से उड़ जाती है और फिर से हवा में फैल जाती है और फिर कमरे में कहीं और जाकर जम जाती है। घर की सफाई के मामले में हर समस्या के लिए एक समाधान वाली बात सही नहीं ठहरती। आपके घर के आकार से लेकर आप जिस हिस्से की सफाई कर रहे हैं, उसके लिए सही वैक्यूम क्लीनर और टूल्स का होना बहुत जरूरी है। अलग-अलग आकारों के अनेक वैक्यूम क्लीनर उपलब्ध हैं, जिन्हें सफाई के मामले में हर जरूरत का समाधान करने के लिए बनाया गया है। हर वैक्यूम क्लीनर में अलग-अलग जगहों की सफाई के लिए भिन्न-भिन्न तरह के टूल्स होते हैं। स्टिक वैक्यूम को हैंडहेल्ड वैक्यूम में बदलने वाले मिनी मोटराईज़्ड टूल से लेकर कपड़ों से धूल व एलर्जन साफ करने के लिए बनाए गए मैट्रेस (अपहोल्स्टरी) टूल तक और संकरी जगहों में पहुंचने के लिए क्विक रिलीज़ क्रेविस टूल तक अनेक टूल्स के साथ वैक्यूम क्लीनर उपलब्ध हैं।