ऑटो डेस्क। ऊर्जा मंत्रालय ने इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरी चार्जिग को सेवा के रूप में वर्गीकृत किया है। मंत्रालय के इस कदम से इन वाहनों के बैटरी चार्जिग स्टेशनों के परिचालन के लिए किसी लाइसेंस की जरूरत नहीं रहेगी। इससे इलेक्ट्रिक-वाहनों के उपयोग को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। बिजली कानून के तहत बिजली के ट्रांसमिशन, वितरण व कारोबार के लिए लाइसेंस की जरूरत होती है। इसलिए सभी इकाइयों को उपभोक्ताओं को बिजली बेचने के लिए लाइसेंस लेना पड़ता है।
मंत्रालय ने एक स्पष्टीकरण में कहा है कि इलेक्ट्रिक वाहनों की चार्जिग के दौरान स्टेशन बिजली ट्रांसमिशन, वितरण या कारोबार का कोई काम नहीं करता। । इसलिए चार्जिंग स्टेशन के जरिये वाहनों की बैटरी की चार्जिग के लिए बिजली कानून, 2003 के तहत किसी लाइसेंस की जरूरत नहीं होगी।
इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्मातओं के संगठन एसएमइलेक्ट्रिकवी के निदेशक सोहिंदर गिल ने सरकार की इस फैंसले को एक अच्छा और प्रगतिशील कदम बताया है। उन्होंने कहा कि देश में चार्जिंग पारिस्थितिकी बनाने की दिशा में यह एक बड़ी परेशानी थी। एसएमइलेक्ट्रिकवी ने सरकार ने जमीन अधिग्रहण सहित अन्य मुद्दों पर भी ध्यान देने को कहा है। इस स्पष्टीकरण में हालांकि अन्य जानकारी नहीं मिली है।